Tuesday, August 13, 2013

मछली जल की रानी है....



बचपन में एक कविता तो सुनी ही होगी आपने कि "मछली जल की रानी है।" और फिर एक कहावत कि "एक मछली सारे तालाब को गन्दा करती है।"

बचपन से ही एक प्रश्न मेरे मन में अठखेलियाँ कर रहा था, कि आखिर "एक रानी अपने ही राज्य को गन्दा क्यों करेगी?" 

पहले तो लगा कि "नहीं" इन दोनों में से एक बात तो गलत ही है, लेकिन फिर बड़े बुजुर्गों की accuracy याद आ गयी कि वो जो कहते हैं सही ही होता है। और फिर, बचपन में वाद-विवाद करना उचित भी नहीं होता है और न ही उचित समझा जाता है। इसलिए यह प्रश्न भी बचपन के उन्हीं 'मासूम' प्रश्नों की तरह ओझल हो गया, जैसे कि "जब रेलगाड़ी चल रही होती है तो सारे पेड़ पीछे क्यों भागने लगते हैं ?" या फिर "इतनी बड़ी रेलगाड़ी वापस आने के लिए घूमती कैसे है?" वैसे यह दूसरा प्रश्न कई बार बड़ों के मन में भी आ जाता है, उम्मीद है कि आपके मन में नहीं आया होगा और मान लीजिये आ भी गया तो क्या हुआ आखिर 'दिल तो बच्चा ही है जी'। 

बाल मन में तर्क और वितर्क की इतनी क्षमता नहीं होती है, और न ही इस पचड़े में पड़ने का कोई औचित्य ही । परन्तु आज देश की वर्तमान स्थिति उर्फ़ "दुर्दशा" देख कर यह प्रश्न फिर से एक बार दिमाग में कौंधा और कौंधा क्या ,यों कह लीजिये कि Hence Proved हो गया।  

यदि मछली = मैडम जी, और जल = भारत मान लिया जाये, तो मुझे नहीं लगता आपको hint भी देने की जरुरत है और ज्यादा explain मैं इसलिए नहीं कर रहा कि शायद कहीं लोकतंत्र के किसी भाग की, या फिर किसी मंत्री के सम्मान की अवहेलना न हो जाये। फिर भी चलते चलते एक और कहावत जरुर बोलना चाहूँगा कि ये हमेशा याद रखियेगा कि "जल ही जीवन है" ।।  

2 comments:

Subodh said...

nyc writing....gud peice of work..keep it up....!!!

अनुराग राजपूत said...

dhanywad :)