Thursday, October 22, 2009

ख्वाब..................


आज उसकी एक हँसी से,
प्यार जब रुखसत हुआ,
उस बाबरी का बाबरापन,
न जाने कब मेरी ताकत हुआ॥

बंदिशें हमने लगाई थी तो,
इस दिल पर बहुत,
इश्क उनसे ऐ खुदा,
हमको न जाने कब हुआ॥

जिसकी बातों से हमें,
उलझन सी होती थी कभी,
आज उसकी हर अदा,
हर बात का कायल हुआ॥

कहते तो हैं कुछ शख्स ये,
क़ि प्यार एक इल्जाम है,
पर आज इस इल्जाम में,
मैं फक्र से शामिल हुआ॥

प्यार का पैगाम हम,
देने ही वाले थे मगर,
ख्वाब था वो रात का,
और ख्वाब कब हासिल हुआ॥



Monday, July 13, 2009

कोई मुझको ये बतला दो.........


कोई मुझको ये बतला दो।
मन में दीप जलाऊँ कैसे ,
जब वहीँ मुझे अंधियार मिले।
आशा की किरण जगाऊँ कैसे,
हर जीत में जब एक हार मिले।


जीवन के संघर्षों से तो,
काँटों पर चलना सीख लिया।
पर अगला कदम बढाऊँ कैसे,
जब मंजिल का धुंधला सार मिले॥


जब अपनी खुशियों को बांटा था,
एक भीड़ मिली थी तब मुझको।
अब अपने गम बतलाऊँ कैसे,
जब तन्हा सब संसार मिले॥


मन में उठती है एक पीर कभी,
कुछ प्रश्नों की हुंकारों से।
पर उनको मैं सुलझाऊं कैसे,
जब प्रश्नों का अम्बार मिले॥


जीवन के कोरे कागज पर,
लिखना तो मैंने सीख लिया।
पर अब ये कलम उठाऊँ कैसे,
जब न शब्द मिले, न सार मिले॥


सावन की रिमझिम सी बारिश,
मुझको भी अच्छी लगती है।
पर अब सावन बरसाऊँ कैसे,
जब पतझड़ ही हर बार मिले॥


Sunday, July 12, 2009

मैं कौन हूँ............

मैं हूँ इस ब्रम्हांड के चेतन जगत का जीव कोई,
मैं ही हूँ संसार के जंजाल में एक फंसा मोही

मैं हूँ वो मन जो मचल जाता तनिक सी बात में,
मैं हूँ वो भंवरा जो मंडराता है हर एक बाग़ में

मैं हूँ वो संकल्प, जो डरता नही तूफ़ान से,
मैं हूँ वो विश्वास जो रहता सदा ही शान से

मैं हूँ एक उल्लास जो हर पल रहेगा साथ में,
मैं हूँ एक उन्मुक्त पंक्षी इस फैले हुए आकाश में


सोचता हूँ जब कभी ये प्रश्न की " मैं कौन हूँ?"
तो है सशंकित हृदय कि,
"मैं कौन हूँ, मैं कौन हूँ ,
मैं शब्द हूँ या मौन हूँ!"
"एक पुष्प कि हूँ महक मैं,
या हूँ पक्षियों कि चहक मैं!"
"संकल्प या विश्वास हूँ मैं,
मुस्कान हूँ या आस हूँ मैं!"

किन्तु उत्तर है यही इस प्रश्न का,
कि

"मन में कुछ संकल्प लेकर, जो अभी भी हैं अधूरे,
थोड़ा सा विश्वास लेकर, कर सकूं वो काम पूरे!
मैं हूँ एक तन्हा मुसाफिर, इस सकल संसार में,
हूँ नहीं एक भीड़ मैं , हूँ भीड़ के उस पार मैं!
उस सचल परमात्म का,तुच्छ सा एक भाग हूँ मैं,
प्रेम हूँ मैं हृदय का ,
''अनुराग'' हूँ,''अनुराग'' हूँ मैं!!"